भारतीय भाषा मंच
लंबे समय से देश के भीतर और बाहर भारतीय भाषा-प्रेमियों के बीच में भारतीय भाषाओं
को समृद्ध करने की दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय भाषाओं के लिए पूर्णत:
समर्पित एक संगठन के गठन की आवश्यकता का अनुभव किया जा रहा था, जिसकी पृष्ठभूमि
में भारत के विभिन्न राज्यों में भारतीय भाषा-प्रेमियों के बीच अनेक संवाद और
संगोष्ठियाँ हुईं, जिनमें गम्भीर चर्चा के पश्चात् यह निर्णय लिया गया है कि
राष्ट्रीय स्तर पर ''भारतीय भाषा मंच'' का गठन किया जाए, जो भारतीय भाषाओं के
हितों की रक्षा और समृद्धि हेतु कार्य करे।
भाषा की आजादी ही हमारी वास्तविक आजादी है, ''निज भाषा की उन्नति ही सब प्रकार की
उन्नति का आधार है'' इस सूत्र को साकार करने तथा भारतीय भाषाओं के विकास व प्रसार,
दैनिक कार्यों में स्व-भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय भाषा मंच का
गठन दिनांक 20.12.2015 को नई दिल्ली में किया गया। यह सर्व-विदित तथ्य है कि सभी
भारतीय भाषाओं की मूल वर्णमाला, वाक्य विन्यास तथा वर्ण्य विषय, लगभग एक समान
हैं, परन्तु गुलामी के कालखण्ड में द्रविड़-आर्य-भेद डालकर भाषाई वैमनस्य को
बढ़ाया दिया गया, इसी वैमनस्य की खाई को पाटने के लिए भारतीय भाष मंच के रूप में
यह पहल है।
भारतीय भाषा मंच के उद्देश्य व कार्य
भारतीय भाषा मंच, प्रमुख रूप से निम्नलिखित विषयों/बिंदुओं पर काम करेगा और आगे
आवश्यकता पड़ने पर इस सूची में यथा-अपेक्षित कुछ-और बिंदु/विषय जोड़े जा सकते हैं:
1. भारतीय भाषाओं की वर्तमान स्थिति तथा उसमें सुधार व संवर्द्धन के उपाय करना।
2.भारतीय भाषाओं के लिए काम करने वाले सभी भाषा-प्रेमी व्यक्तियों, विद्वानों और
संस्थाओं को एक मंच पर लाना तथा उनके मध्य सौहार्द एवं समन्वय स्थापित करना।
3. प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा में (चिकित्सा, अभियांत्रिकी, प्रबंधन और
तकनीकी शिक्षा सहित) सभी स्तरों पर शिक्षा का माध्यम, हिंदी और भारतीय भाषाएँ
हों, इस दिशा में जागरूक रहकर प्रयास करना।
4. सभी विश्वविद्यालयों, शिक्षा-संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश
हेतु ली जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं का माध्यम हिंदी और भारतीय भाषाओं में हों, इस
हेतु प्रयास करना।
5. सभी प्रकार की प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं का माध्यम हिंदी और भारतीय भाषाओं
में हों, इस हेतु प्रयत्न करना।
6.सभी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षण-प्रशिक्षण का माध्यम हिंदी और
भारतीय भाषाओं को बनवाने के लिए यत्न करना।
7.विधि, न्याय और प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी (ई-गवर्नेंस, डिजिटल इंडिया और
ऑनलाइन सेवा, आदि) ई. आर. पी.-9 सॉफ्टवेयर के प्रयोग द्वारा उद्योग और व्यापार के
क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के प्रयोग के बढ़ाने के लिए यत्न करना।
8. केन्द्र व राज्य संबंधी विधायन कार्यों में हिंदी और भारतीय भाषाओं को लागू
करवाने हेतु निरंतर प्रयत्न करना।
9. उच्चतम न्यायालय में देश की राजभाषा में और उच्च न्यायालयों में राज्य की
राजभाषाओं के प्रयोग की अनुमति हो, इस हेतु प्रयास करना।
10. केन्द्र और राज्यों के अर्ध-न्यायिक निकायों, न्यायाधिकरणों आदि में
राजभाषा हिंदी एवं संबंधित राज्यों में वहां की राजभाषा के प्रयोग का प्रावधान
करवाना। जहाँ पहने से प्रावधान है, पर उसका पालन नहीं हो पा रहा है, वहाँ उसके पालन
करवाने हेतु प्रयत्न करना।
11. भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों, उनकी
संस्थाओं व उपक्रमों आदि को सुझाव देना इस दिशा में निरंतर जागरूक रहकर प्रयत्न
करना।
12. केन्द्र स्तर पर देश की राजभाषा में तथा राज्य स्तर पर विभिन्न सरकारों व
उनके कार्यालयों का समस्त कार्य उनकी राजभाषा में हो, इस दिशा में प्रयत्न करना।
13. भारतीय भाषाओं के लिए कार्य करने वाले सक्रिय संगठनों व संस्थाओं को चिह्नित
कर उनकी व उनके कार्यों की सूची बनाना व उनके उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता
एवं समन्वय करना।
14. ऐसे कार्यों को चिह्नित करना, जो भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए आवश्यक हैं,
उनकी सूची बनाना, उन्हें करने या क्रियान्वित करवाने के लिए प्रयत्न करना।
15. विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थाओं/संगठनों के द्वारा किए जाने वाले शैक्षिक
एवं शोध कार्यों खासतौर से उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, प्रबंध
शिक्षा, कृषि शिक्षा आदि क्षेत्रों में हिंदी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से किए
जा रहे शोध-कार्यों को आगे बढ़ाने और उन्हें करवाने के लिए राज्य स्तर,
केन्द्रीय स्तर पर प्रयत्न करना।
16.प्रदेश स्तर पर व प्रदेशों के भीतर भी भारतीय भाषा मंच की शाखाएँ गठित
करना/कराना और उनमें आपस में सहयोग, समन्वय स्थापित करने हेतु सहायता करना।
17. भारतीय भाषाओं के विकास के लिए तकनीकी यंत्रों, सूचना प्रौद्योगिकी के उपकरणों
के विकास के आयामों में सहयोग एवं समन्वय करना तथा इस हेतु संबंधित संस्थाओं को
प्रेरित करना।
18. सभी भारतीय भाषाओं के परस्पर अनुवाद की प्रक्रिया को बढ़ाने हेतु प्रयास करना।
भारतीय भाषा मंच व उसकी समयोगी संस्थाओं द्वारा अब तक किए गए प्रमुख कार्य
1. संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न-पत्र में 22.5 अंक के
अँग्रेजी प्रश्नों की अनिवार्यता समाप्त कराने में वर्ष 2015 में सफलता प्राप्त
की, जिससे हिंदी तथा भारतीय भाषाओं को न्याय दिलाने की दिशा में हम एक कदम बढ़े।
2. हिंदी के समाचार-पत्रों में केन्द्र सरकार में विज्ञापन देने वालों के विरोध में
अभियान चलाया गया तथा पिछले 4 वर्षों के दौरान लगभग 6 हजार शिकायतें भारत सरकार के
राजभाषा विभाग और राज्य सरकार के मुख्य सचिवों को की गईं, जिसके फलस्वरूप अब
हिंदी के समाचार पत्रों में अँग्रेजी के विज्ञापन घटकर बहुत कम रह गए हैं।
3. भारतीय भाषाओं के समग्र विकास और संवर्धन के लिए हाल ही में 27 दिसंबर 2014 के
आदेश द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भाषा नीति हेतु एक समिति का गठन किया
है। इस हेतु हमारे द्वारा भी सरकार को सुझाव दिया गया था।
4. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के कामकाज में भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़े, इस
हेतु पिछले 4 वर्षों के दौरान लगभग 5 हजार पत्र लिखे जा चुके हैं, जिनके अनेक
सकारात्मक परिणाम आए हैं।
5. विगत पाँच वर्षों में भारतीय भाषाओं के विस्तार, विकास एवं प्रसार, प्रचार हेतु
देश के अनेक राज्यों में विभिन्न विश्वविद्यालयों में भाषा प्रेमी संस्थाओं के
साथ मिलकर अनेक संगोष्ठियाँ, परिसंवाद एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है, जिसके
कारण देश में पुन: एक बार भारतीय भाषाओं के पक्ष में वैचारिक आंदोलन प्रारंभ होकर
आगे बढ़ रहा है।
6. इसी प्रकार विधि एवं न्याय के क्षेत्र में भारतीय भाषा पर भी आयोजित अनेक
संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश मा.
श्री धर्माधिकारी जी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश मा. श्री वी.एस. सिरपुरकर,
न्यायमूर्ति सुधा मिश्रा जी व उच्च न्यायालयों के वर्तमान एवं पूर्व न्यायाधीश
श्री एस.एन.धींगरा, न्यायमूर्ति जितेन्द्र माहेश्वरी जी, न्यायमूर्ति श्री
वेदप्रकाश जी तथा इसके अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालयों के अनेक मान्य
न्यायाधीशों ने भी सम्मिलित होकर इस विषय में अपना समर्थन व्यक्त किया है। इस
कार्य को विशेष बल देने हेतु ''भारतीय भाषा अभियान'' का भी प्रारंभ किया गया है।
6. व्यवसाय, व्यापार एवं सरकार द्वारा संचालित वित्तीय क्षेत्र के संस्थानों में
भारतीय भाषा में कार्य हो, इस हेतु भी संगोष्ठियाँ संपन्न की गईं।
7. दिनांक 24 मई 2015 को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय शैक्षिक
कार्यशाला में देशभर से आये शिक्षाविदों ने सर्वसहमति से ''भारतीय भाषाओं के
प्रयोग, प्रसार एवं विकास की अनिवार्यता'' विषय पर प्रस्ताव भी पारित किया है।
8. वर्तमान में भारतीय भाषा मंच पूर्वोत्तर और दक्षिण के राज्यों में भारतीय भाषा
जनजागरण व संवर्धन पर विशेष बल दे रहा है।
हमारा मानना है कि उपरोक्त सारे प्रयासों से देश में पुन: भारतीय भाषाओं के पक्ष
में वातावरण बना है एवं सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। इसी लक्ष्य के साथ
आगामी दिनों में देश-भर में जन-जागरण करने से प्राथमिक से लेकर उच्च एवं
व्यावसायिक शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं एवं न्यायालय सहित सरकारी कार्य का
माध्यम भारतीय भाषाएँ बनें व इस दिशा में तेज गति से योजना-बद्ध ढंग से ठोस कार्य
करने की दिशा में हम सब साथ मिलाकर कदम से कदम मिलाकर यदि आगे बढ़ेंगे, तो हमें
विश्वास है कि हम पुन: भारतीय भाषाओं को देश में स्थापित करके भारत को एक समृद्ध
व सशक्त राष्ट्र बना सकेंगे, जिसका सपना स्वतंत्रता के पुरोधाओं व राष्ट्र को
समृद्ध करने की आकांक्षा वालों ने देखा था।
अतुल कोठारी वृषभ प्रसाद जैन
संरक्षक राष्ट्रीय संयोजक
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